जाने कैसे मेजर ध्यानचंद ना कहने के लिये ज्यादा चर्चित हुए
इतिहास के कालखंड में जब आप अध्ययन करते हो तो आपको पता चलता हैं, की उस वास्तविक स्थिति में लोककल्याणकारी माहान कार्य किसने किया था, और आप ही नही दुनिया के सभी ज्ञानी सत्य की खोज में रहते है, और अन्त में उस बात से सहमत होते हुए उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि देते हैं।
राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने का सफर 29 अगस्त साल 2012 से शुरू हुआ था। जब इस तारीख को खिलाड़ियों को समर्पित करने का फैसला लिया गया। 29 अगस्त की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि इस दिन महान हॉकी प्लेयर मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। बता दें कि इलाहाबाद में जन्में मेजर ध्यानचंद को इस खेल में महारत हासिल थी।
मित्रो आज मैं बात कर रहा हूँ आदरणीय हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी की जो हमारे दिलों पर राज करते हैं, जिन्हें फिर भी क्रीड़ा जगत का पहला भारत रत्न नही घोषित किया गया, बल्कि उनको दिया गया जो स्वयं इनके नाम से दिये जाने वाले "मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरुस्कार" से सम्मानित हैं।
मेजर ध्यानचंद ये वो माहामानव हैं, जो देश के लिए खेलते हुए, इटली के सर्वेसर्वा तानाशाह हिटलर को भी ना कहने की ताकत रखता था।
लोकहित और देश हित मे ना कहना सीखे।
धन्यवाद
आपका
डॉ. जयंत रामरेके🙏
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