दर्द को गुस्से में गुस्से को प्रेरणा में और प्रेरणा को सफलता में आज से बदल दो🏅
डॉ. जयंत कुमार रामरेके,पोरवाल महाविद्यालय, कामठी
दर्द और गुस्से का रिश्ता अद्वितीय है। दर्द की ताक़त को हम गुस्से में बदल सकते हैं और उस गुस्से को प्रेरणा में रूपांतरित कर सकते हैं। जब हम दर्द को अपनी जीवन की उस मुख्य प्रेरणा बनाते हैं जो हमें आगे बढ़ने की साहस देती है, तो हम सफलता की ऊँचाइयों को छू सकते हैं। यही उद्देश्य है जिससे कि विद्यार्थियों को खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जा सके।
खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आवश्यक है कि हम दर्द को उन चुनौतियों के रूप में देखें, जो हमें अपने कौशल को सीमित करने का मौका देती हैं। यह चुनौतियाँ हमें संघर्ष की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करती हैं। गुस्से को हम प्रेरणा में रूपांतरित कर सकते हैं, क्योंकि गुस्सा हमें एक नई ऊर्जा और संजीवनी ताक़त प्रदान कर सकता है। जब हम अपने गुस्से को सकारात्मक क्रियाओं में नियोजित करते हैं, तो हम उस ऊर्जा को सफलता की ओर दिशा में प्रवृत्त कर सकते हैं।
खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए यह संदेश है कि दर्द और चुनौतियाँ हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और उन्हें हम सकारात्मकता में परिवर्तित करके हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं। गुस्सा हमें नई ऊर्जा प्रदान करके प्रेरित कर सकता है और हमें सफलता की ओर आग्रहित कर सकता है। इसी तरह से, खेलकूद प्रतियोगिताएँ हमें न केवल दिलचस्पी और उत्साह प्रदान करती हैं, बल्कि हमें जीवन के असली मूल्य को समझने में भी मदद करती हैं।
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